हिन्दू का दुर्भाग्य यह रहा है कि वह सदियों से जातिवाद की गिरफ़्त मे रहा है , इसी कारण वह इतना कमज़ोर रहा कि हमेशा विदेशी आक्रमण के समक्ष उसने घुटने टेके । अब भी हिन्दू समाज एकता स्थापित करने के लिये इसे समाप्त करने पर गंभीर नहीं है ।
समाज सुधारकों की आवश्यकता है आज सर्वाधिक ।
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राजकुमार सचान होरी
www.horionline.blogspot.com
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