अपने भारत में असंख्य देवी देवता .
असंख्य जातियां |
जातियों के अन्दर जातियाँ |
आखिर हम उत्पादन में विश्वश्रेष्ठ जो हैं , चाहे संतान ,
या देवी देवता ,
अस्थिर मन भटकता है करता है नित नया श्रजन
बना कर भेद मनुष्य , मनुष्य में अहम् तुष्टि के लिए |
RAJ KUMAR SACHAAN 'HORI'
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